50 हजार रुपये से ज्यादा के सभी उपहार आयकर के दायरे में
करनाल,: संशोधित आयकर अधिनियम की धारा 56 के तहत 1 अक्टूबर, 2009 से 50 हजार रुपये से ज्यादा के सभी उपहार आयकर कानून के अंतर्गत कर दायरे में लाए गए हैं। हालांकि उपहार कर सरकार ने 1998 में हटा दिया था। उपहार के रूप में प्राप्त आभूषणों का मूल्यांकन कैसे किया जाता है। इसकी जानकारी दे रहे हैं अखिल भारतीय कर व्यवसायी संघ के सदस्य एडवोकेट शक्ति सिंह।
आयकर अधिनियम में हालांकि मूल्यांकन की कोई विधि नहीं दी गई थी, किंतु अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने नियम 11वीए बना दिया है, जो अचल संपत्ति के अलावा अन्य संपत्ति का उचित बाजार मूल्य को तय करता है। इस नियम के अनुसार धारा 56 (2) (7) के तहत मूल्यांकन निम्न प्रकार होता है।
0 अगर आभूषण किसी व्यक्ति या एचयूएफ को मिलता है, डोनर के खरीदने के बाद और डोनर ने रजिस्टर्ड जगह से आभूषण खरीदे तथा उसका बिल भी लिया, तो वह बिल ही आभूषण का मूल्य बन जाएगा।
0 अन्य हालात में अगर आभूषण की कीमत 50 हजार रुपये से अधिक है तो निर्धारिती रजिस्टर्ड वेल्यूअर के पास जाकर आभूषणों का मूल्य प्राप्त कर सकता है।
इन पर नहीं लगता टैक्स
अगर कोई भी आभूषण किसी व्यक्ति को शादी के समय, रिश्तेदार और संबंधियों से, वसीयत से, उत्तराधिकारी से, किसी रिश्तेदार की मृत्यु पर अथवा किसी स्थानीय प्राधिकरण से प्राप्त होते हैं, तो उन पर टैक्स नहीं लगता।
किसी फंड, फाउंडेशन, विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थान, अस्पताल, अन्य चिकित्सा संस्थान, ट्रस्ट या कोई संस्थान जो धारा 10 (23सी) में आते हैं और किसी ट्रस्ट या संस्थान से, जो धारा 12 ए के तहत रजिस्टर्ड हैं, तो उनसे प्राप्त होने पर भी टैक्स नहीं लगता।
धारा 56 (2) के तहत रिश्तेदार या संबंधी से उपहार के रूप में प्राप्त आभूषण टैक्स फ्री होते हैं, किंतु अगर वह ही आभूषण किसी गैर रिश्तेदार से मिले, तो उस पर टैक्स लगता है।